Wednesday, September 19, 2018

打击非法捕捞须下重手

有研究结果显示,在非洲和南亚某些地方捕捞的鱼中,每三条就有一条是非法捕捞的,而全球每年的渔获中非法捕捞的比例约为15%到30%。非法捕猎不仅让我们的海洋资源枯竭,让当地依赖渔业为生的社区陷入贫困,渔民背井离乡,还夹带了贩卖人口和侵犯人权的风险。

欧洲和中国作为世界上最大的两个海产市场,有义务对此采取行动。据联合国粮农组织称,目前欧洲是最大的海产进口地,中国有望在未来几年中超过它。中国也是最大的海产生产国之一,拥有全世界约20%的渔船,因此可以在打击非法捕捞活动方面发挥重大作用。

最近欧盟组织的“我们的海洋”会议在马耳他举办,我们在会上采访了海洋环境保护组织的欧洲政策和咨询主管玛丽娜·何塞·考纳克斯。

考纳克斯是主张打击非法、不报告和不管制( )捕捞的先锋人物,并且致力于推动欧盟制定新的策略遏制此类行为。

本访谈内容经过摘编。夏洛婷:打击 捕捞面临哪些重大挑战?

玛丽娜·何塞·考纳克斯(以下简称考纳克斯):我们面临的主要挑战首先是得组织国际合作,其次是将这些承诺变成实际行动。

打击全球IUU捕捞有两个方面。一个方面是控制渔船。控制渔船的第一步是控制船旗国(即渔船的登记国),比如我们不可能让挂着内陆国蒙古国旗的渔船在争议海域打鱼。

第二个方面是控制市场。欧盟、日本和中国是全球三大主要海产市场,这三个国家之间应该搁置争议,与美国一起达成一个协议,确保所有跨境运输的船只都是合法的,并且其产品来源和捕捞运输操作也完全是合法的和可持续的。

这一重大挑战需要通过很多法规来应对,首先就是要实现海产品的可追溯性,其次要对捕捞船只进行全面的管控。这一点至关重要,因为如果合法的渔获没有市场,就没有存在的理由。

夏洛婷:在透明度方面,您说欧洲有一个公开的数据库,其中登记了所有进入欧洲市场的渔获信息。您能对透明度的必要性和这个数据库在这方面的贡献做一个更详细的阐释吗?

考纳克斯:要消灭IUU捕捞,透明度是一个非常重要的工具。简单一点来说,由于捕捞活动之繁之广,要逐一解决非法捕捞案件是不可能的。因此,我们需要确切地知道这场游戏中规矩的玩家都有哪些,谁是合法的捕捞者、他们在哪里作业、捕捞对象是什么以及如何捕捞。

我们需要针对渔业企业与东道国之间签署的私下协议建立一个监管框架,并将其作为遏制贿赂、腐败和其他日常不正当行为的关键武器。无论对打击非法捕捞还是渔业的可持续管理来说,透明度和公开的数据都是一个重要工具。

夏洛婷:作为蓝色经济宏伟蓝图的一部分,中国在“十三五”规划期间制定了一个雄心勃勃的海洋发展战略。中国旅游和渔业部门发展已经延伸到了南极和南大洋,并计划通过发展深海捕捞来减轻近海渔业资源的压力。您认为中国从国际合作和国内政策上可以为解决非法捕捞问题做些什么?

考纳克斯:首先,要建立起一个属于21世纪的行业,中国就必须采纳并落实21世纪的标准。对渔业而言,这意味着要保证对所有渔船的完全控制,无论它们在哪里捕鱼,无论船上挂的是哪国国旗。中国的渔船不仅挂中国国旗,还有巴拿马和伯利兹等国的国旗。这些国家都应负起责任。

中国也必须和所有其他国家一样,注意那些从事 捕捞的国民。我们可以“顺藤摸瓜”,非法捕捞活动的责任不在于某条渔船,而在于其背后的企业。一些中国内陆企业就在全球从事着IUU捕捞活动。因此,要推进打击非法捕捞活动并取得成效,就要针对这些从非法活动中获益的企业,建立一个强大的制裁体系,这是至关重要的。

第三方面是最关键的,关系到中国在市场中发挥的作用以及中国不断增加的海产品消费。中国不仅在渔船数量上是超级大国,也是海产进口的超级大国。所有企业都瞄准中国市场,意味着该国在确保进口海产的合法性和可持续性上肩负着重要责任。

Monday, September 3, 2018

पहले घंटे में नहीं कराया ब्रेस्टफ़ीड तो जानते हैं क्या होगा?

मां का दूध बच्चे के लिए वरदान है लेकिन अगर बच्चे को ये वरदान जन्म के पहले घंटे में नहीं मिला तो उसकी ज़िंदगी ख़तरे में भी पड़ सकती है.
यूनिसेफ़ के मुताबिक, कम और मध्यम आय वाले ज़्यादातर देशों में पांच में से सिर्फ़ दो बच्चों को ही जन्म के पहले घंटे में मां का दूध मिल पाता है. इसके चलते बच्चों की सेहत पर तो असर पड़ता है ही साथ ही उनके जीवित नहीं रहने का ख़तरा भी बढ़ जाता है.
ये रिपोर्ट दुनियाभर के 76 देशों में हुए अध्ययन पर आधारित है. रिपोर्ट के अनुसार, क़रीब 7 करोड़ 80 लाख बच्चे ऐसे हैं जिन्हें जन्म के पहले घंटे में मां का दूध नहीं मिला.
सवाल उठता है कि अगर कोई औरत अपने बच्चे को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान नहीं करा पाए तो इसका असर क्या होगा?
रिपोर्ट की मानें तो अगर बच्चे को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान नहीं मिलता है तो बच्चे की मौत आशंका 33 फ़ीसदी तक बढ़ जाती है.
दावा किया गया है कि जिन बच्चों को मां का दूध पहले घंटे में मिलता है वो तुलनात्मक रूप से ज़्यादा स्वस्थ रहते हैं और उन्हें कई तरह के संक्रमण से भी सुरक्षा मिलती है. मां और बच्चे का यह संपर्क ब्रेस्टमिल्क प्रोडक्शन के लिहाज़ से भी ज़रूरी है. इस पहले संपर्क से ही कोलोस्ट्रम बनने में भी मदद मिलती है.
साइंसडेली के अनुसार, कोलोस्ट्रम को पहला दूध भी कहते हैं. मां बनने के बाद कुछ दिनों तक कोलोस्ट्रम ही प्रोड्यूस होता है. कोलोस्ट्रम गाढ़ा, चिपचिपा और पीलापन लिए हुए होता है. कोलोस्ट्रम कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, एंटी-बॉडीज़ का ख़जाना होता है. इसमें फ़ैट बहुत कम होता है, इस लिहाज़ से बच्चा इसे आसानी से पचा भी लेता है. बच्चे के पहले स्टूल (मेकोनियम) के लिए भी ये ज़रूरी है.
रिपोर्ट के अनुसार, मां के पहले दूध को बच्चे के पहले वैक्सीन के तौर पर भी माना जाता है. पोर्ट में इस बात का भी ज़िक्र है कि सी-सेक्शन यानी ऑपरेशन से होने वाली डिलीवरी में तेज़ी आने की वजह से भी कई बार मां, बच्चे को एक घंटे के भीतर दूध नहीं पिला पाती.
साल 2017 के आकड़ों के आधार पर पाया गया है कि दुनिया भर में सी-सेक्शन के मामलों में 20 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है. मिस्र का उदाहरण देते हुए इसके प्रभाव को समझाने की कोशिश की गई है. यहां सी-सेक्शन से पैदा सिर्फ़ 19 फ़ीसदी बच्चों को ही पहले घंटे में मां का दूध मिला जबकि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए 39 फ़ीसदी बच्चों को एक घंटे के भीतर मां का दूध मिल गया.
सी-सेक्शन के अलावा एक और भी बहुत बड़ी वजह है जिसके चलते बच्चे को पहले घंटे में मां का दूध नहीं मिल पाता.
रिपोर्ट में संबंधित देशों की सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे नवजात बच्चों के लिए तैयार फॉर्मूले और दूसरे उत्पादों के बाज़ारीकरण के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानूनी प्रक्रिया अपनाएं ताकि पहले घंटे में मां के दूध का ही विकल्प प्राथमिकता रहे.
यूनिसेफ़ की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए हमनें बीबीसी के फ़ेसबुक ग्रुप लेडीज़ कोच पर महिलाओं से उनके अनुभव साझा करने को कहा.
ज़्यादातर महिलाओं का मानना है कि मां, बच्चे को पहले घंटे में दूध पिला पाएगी या नहीं ये बहुत हद तक अस्पताल, डॉक्टर, नर्स और उस वक़्त मौजूद लोगों पर निर्भर करता है.
अनुमेधा प्रसाद का कहना है कि कुछ बातों को भारत के ज़्यादातर अस्पतालों में तवज्जो नहीं दी जाती है जबकि विकसित देशों में बच्चे के पैदा होते ही उसे उसी तरह मां को दे दिया जाता है. इसके बाद कहीं जाकर नाल काटी जाती है और साफ़-सफाई की जाती है. वहां और यहां में ये बड़ा अंतर है.
बतौर अनुमेधा "ज़्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि बच्चों को जन्म के तुरंत बाद स्तन से लगाते ही दूध आता नहीं है. लेकिन बच्चे को छाती से सिर्फ़ दूध पिलाने के लिए नहीं लगाया जाता, ये भावनात्मक लगाव के लिए भी ज़रूरी है."
अनुमेधा के दोनों बच्चों की डिलीवरी नॉर्मल हुई थी. वो बताती हैं कि उनके पिता डॉक्टर हैं इसलिए उन्हें पहले से ही पता था कि मां का पहला दूध एक घंटे के भीतर देना ज़रूरी होता है.
वहीं दिप्ति दुबे भी उन मांओं में से हैं जिन्हें ये पता था कि बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चे को दूध पिलाना ज़रूरी है. उन्होंने भी अपने बच्चे को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराया था.